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सब कुछ अपनाया था मैंने कुछ भी नकारा नहीं
मुझे छोड़ा उस दरमियान जहाँ दूर तक कोई किनारा नही
 
एक अरसे से नहीं देखा पाया सूरत उसकी कहीं
ग़मगीन तब से खुद का चेहरा तक सँवारा नहीं ।।
 
माना  मुझे बोलने की अच्छी तहबीज ओर तालीम नहीं
लेकिन समझ ना सकु खुद के लफ्ज़ इतना भी गंवारा नही ।।
 
 
ओर अब तो फिका सा लगने लगा है ये जीवन सारा कहीं
कमबख्त़ दूर तलक निकल गई वो एक-बार भी पुकारा नही ।।
 
लिखने को बहुत कुछ रह गया है लिखेंगे बाकी कहीं
खुद की कलम ने आज वो सब उतारा नहीं।।



@khudkikalam_



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