आंखों में गहरा खुमार चाहिए।
हाँ मिझे हर रोज नया दीदार चाहिए ।।
हाँ मिझे हर रोज नया दीदार चाहिए ।।
शहर वालों ने तो बड़े सितम ढाह रखे है !
रातों में गुनाह कर खरीद लेते है जो ख़बरदारों को ।
मुझे सुबह वो सच्चाई वाला अख़बार चाहिए ।।
ओर करते है जो सर-तन से जुदा करने की बातें |
उभसा चुका हूँ अब इन दमदार नेताओं से ।
अब तो सत्ता में कोई ख़िदमतगार चाहिए ।।
ओर जो करतें हैं खुले-आम जीवों पर अत्याचार ।
क़ानून में उनके लिए फाँसी का समाचार चाहिए ||
किसी के रोकने से नही रुकेंगे लफ्ज़ ऐ कलाम ।
मुझे खुद की कलम में और तेज रफ़्तार चाहिए ||
@khudkikalam__
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