अहसासो का पृथक्करण
एक अरसे बाद हुआ था अनकुरित ।
अब ये कैसा तूफ़ान आया है।।
आघोष में उसके लहराने लगा था ।
खुद सींच कर ,बे-जान बनाया है ।।
कैसे करेगा अब खुद को परफुलित ।
अहसानों के कुछ लगान बकाया है ।।
जब शैहतानो की परवर्ती ठीक थी ।
फिर ये किसने भगवान बनाया है ।।