अहसासो का पृथक्करण - हिंदी कविता ! Ehsaason ka parthkarn hindi kavita ! Poetry ! Poem

 


       अहसासो का पृथक्करण


 

एक अरसे बाद हुआ था अनकुरित ।

 अब ये कैसा तूफ़ान आया है।।


आघोष में उसके लहराने लगा था ।

खुद सींच कर ,बे-जान बनाया है ।।


कैसे करेगा अब खुद को परफुलित ।

अहसानों के कुछ लगान बकाया है ।।


जब शैहतानो की परवर्ती ठीक थी ।

फिर ये किसने भगवान बनाया है ।।


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