निश्छल प्रेम ! हकीक़त कि आत्मकथा - सच्चा प्यार हिंदी कहानी ! hindi kahani story - खुद की कलम ऐसे !

                         ★निश्छल प्रेम


                   हकीक़त कि आत्मकथा 


    निश्छल प्रेम ! हकीक़त कि आत्मकथा - सच्चा प्यार हिंदी कहानी ! hindi kahani story - खुद की कलम से ! 

निश्छल प्रेम ! हकीक़त कि आत्मकथा - सच्चा प्यार हिंदी कहानी ! hindi kahani story - खुद की कलम ऐसे !





यूँ तो हर-एक किताबों में पढ़ी होगी प्रेम की कहानी लेक़िन यह हकीकत की आत्मकथा कुछ हट के है ।


आज से तकरीबन पांच-छ: साल पहले शुरू हुई थी  ये निश्छल प्रेम कहानी ।

इस कहानी के दोनों पात्रों को अवनि ओर महेश काल्पनिक नाम दिया गया 

इन प्रेमियों को  लैला-मजनू कहना उचित नही है क्योंकि ये इन से कहीं बढ़कर अलौकिक ओर अनोखे प्यार की मिसाल है।

इंटरनेट के ज़माने ने इतनी नजदीकियां बढ़ा दी कि अवनि-महेश रूबरू ना सही लेकिन हर-रोज एक सुनहरी मुलाकात किया करते थे। 

 मानो एक अलग सी दुनियां बन गई थी,,,रोज लड़ाई-झगडे, एक का रूठना दूसरे का मनाना,अनेको वादे-इरादे ,,,

यूँ मानो की जीवन की एक अलग सी कड़ी बनती गई ।

सब-कुछ अच्छा था अनेको आशा-अभिलाषाए जिंदा थी ।

लेक़िन वक्त ने कुछ इस तरह फ़ेर लिया की ,,कुछ अनसुनी बाते, कुछ अनदेखे क़िस्से ओर अविश्वासी भाव कीड़े की तरह लग चुका था ।

एक दिन दोनों को अकल्पनीय फैसला लेना पड़ा और अलग होगए ।

काले वक्त ने सुनहरे रिश्तों को दो भागों में कुछ इस तरह की राहों पर छोड़ दिया की उन राहों से गुज़र पाना मुश्किल था ।

सब-कुछ ख़त्म सा होगया था,,रोते-बिलखते फ़िर से एक होने की आस में एक लंबा वक्त निकल चुका था ।

लेक़िन अरमान ओर अभिमान जिंदा थे ,,,फ़िर से मिल जाने की अखण्ड आशा थी ।

आशा क्यों ना हो ,,,दो दिलों का निश्छल प्रेम जो था,,,

हुस्न,हवस-जिस्मानी इन सब रंगीन ख़्वाहिशों से कहीं दूर तमीज़ ओर तजबीज से परिपूर्ण मोहब्बत थी ।

चार वर्षों के दर्द भरे इंतजार के बाद अभी फ़िर से उस प्रेम की जोत प्रबल हुई थी ,,,,

प्यार तो वही है ,,,लेकिन फ़िर से आने वाला दर्द उस बिच्छड़न से कहीं गहरा नज़र आ रहा है ,,,।


यक़ीनन मंज़र बुरा होगा ,,हमेशा के लिए दूरियां होंगी, अंधकार भरे जीवन मे सब ख्वाबों की आहुति लग जायेगी, ह्दय स्पंदन धीमी होजाएगी, सारा सम्बल ख़त्म से होजायेगा ।।



@khudkikalam- तेरा लेख़क




* निश्छल= छलरहित

* अकल्पनीय= जिसकी कल्पना न हो 

* तमीज़ =अच्छा विवेक

* प्रबल= उग्र,तेज,बलवान

* ह्दय सम्पदं= दिल की धड़कन

*सम्बल= सहारा


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